Tuesday, October 18, 2011

कौए

My friend Harish loves crows. And I have grown to do so too- not just love but to respect as well. This is for the crows!


एक दोस्त मेरा कौए बड़े पसंद करता है,
अक्सर, उनके बार में लिखा भी करता है। 
वो कहता है, कौए इन्सान से कहीं ज्यादा
खुश और कहीं ज्यादा समझदार भी हैं। 

मुझे तो वो हमेशा भद्दे, बदसूरत,शोर
और गन्दगी फैलाने वाले लगते थे। 
आपस में लड़ते-झगड़ते, छीनते भागते
चालाक, साज़िशी परिंदे जान पड़ते। 

लोग उन्हें ज्यादतन झल्लाए उड़ाते थे,
कोई न चाहता के वो आस पास रहें.
तरह तरह के बहानों की आड़ में इन
कौओं को हमेशा दुत्कार ही मिलती है। 

इतनी दुत्कार की आखिर वजह?
शायद इनकी करतूतों में हमें
अपना ही अक्स नज़र आता है,
वो, जिस से हम सब भागते हैं। 

पर जब कुछ और ध्यान से देखा
तो बुराइयों और दुत्कारों के बावजूद
कौए हमेशा खुश ही दिखे, हमेशा
दिन ढलते ही चैन और सुकून में। 

वो तो शायद इस नफरत से
पूरी तरह से बेखबर रहते हैं। 
उनकी ज़िन्दगी का मकसद है
जीना और पूरी ज़िन्दगी जीना।

पड़ोसियों के साथ अन-बन, लगभग हम जैसी ही;
कुछ भी पाने के मौक़ों की फ़िराक़, हमारी ही तरह;
पर एक पर भी गर मुसीबत टूटे, तमाशा न देखते
पूरा झुंड एक हो जाता है मदद में, हमारी तरह नहीं।

हम इन्सान हैं और वो सिर्फ मामूली परिंदे,
हमारी ऊँची समझ, उनकी सिर्फ जीने की समझ। 
सब देख-सोच अपने दोस्त की बात सही लगी-
वो परिंदे हैं और हम सिर्फ मामूली इन्सान। 


2 comments:

  1. True Sambit. Seriously, we consider ourselves the 'most intelligent species' . Are we? And this is how I love crows: The 'My-crow thinking' series...http://kharishsingh.blogspot.com/search/label/My-crow%20thinking

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