Monday, March 31, 2014

पहिए

सब कुछ पहियों पर है आज कल
घूमने के मगर, और भी मायने हैं

हाथ दो, ज़रा टहल आते हैं चलो।

Friday, March 28, 2014

पन्ने

हवाएँ भी तो अपनी मर्ज़ी की मालिक हैं, बहते बहते
भूले बिसरे से वो पुराने पन्ने अचानक पलट जातीं हैं

बीती बातें सताएँ तो, बस मुझ से बात कर लिया करो। 

Tuesday, March 25, 2014

इत्तेफ़ाक़

इक अर्से पहले लगाया था वो पौधा, देखता था
पत्ते सुन्दर से, ज़िंदा हरे, पर फूल नहीं था कोई

इक सब्ज़ इत्तेफ़ाक़ हुई तुम्हारी बचपन की बात।

सब्ज़- Green

Monday, March 24, 2014

फरमाना

सरसरा रहे हैं पत्ते बहती हवाओं में
झपकती शरारती पलकों की तरह

सरग़ोशी से फरमाना, मेरे कानों में।

सरग़ोशी- whisper

Sunday, March 23, 2014

हर्फ़

इक उम्र तक पेंसिल का सीसा होता था काग़ज़ पर
फिर कलम की सियाही, अब स्क्रीन पर छपे हर्फ़ हैं

आज शुरू की है लिखनी, इक लम्बी चिट्ठी तुम्हे।

सीसा- pencil lead; हर्फ़- alphabets 

Sunday, March 16, 2014

पहचान

मुंदे हुए पलकों के पीछे से, देखे हैं बेशुमार धड़कते एहसास
ज़हन की उफनती गहराइयों में महसूस किए हैं नज़ारे कई

दिल ही से पहचानता हूँ तुम्हे, मुझे भी वैसे ही पहचानना तुम। 

Friday, March 14, 2014

दुगनी

कुछ अलग ही सुकूँ होता है बाँटने में
छोटी छोटी खुशियाँ दुगनी हो जातीं हैं

तुम भी तो पढ़ाने की सोच रही हो न ?

Thursday, March 13, 2014

डोरियाँ

डोरियों से बंधे हैं आपस में पहलू ज़िन्दगी के
जो अक्सर उलझ जातीं हैं, गाँठें पड़ जातीं हैं

आओ तेल लगा दूं बालों में, नींद आ जाएगी।

Aspects of life are interconnected by ties of strings,
Which tend to get tangled so often, getting knotted,

Come let me oil your tresses; you'll sleep in peace.

Wednesday, March 12, 2014

चिंगारी

चिंगारी एक सुलगती रहती है अब हमेशा
के बस हवा लगे और मचल कर भड़क उठे

बस यूँ ही बातें किया करो रोज़ तुम मुझसे।

A spark keeps smouldering now all the time,
Waiting for that gust of wind to just flair up,

Keep talking to me just like you do everyday.

Tuesday, March 11, 2014

मुलाक़ात

खूबसूरत, रंगीन, जैसे अब बोल पड़े
पर वो मुस्कुराहटें ख़ामोश ही रहतीं हैं

जाने कब मुलाक़ात तस्वीर से आगे बढ़ेगी?

Saturday, March 8, 2014

कुर्ता

हाँ, अर्सा कुछ लम्बा बीत चूका है
वक़्त ने कई पन्ने पलटे हैं हमारे

काला कुर्ता, खूब जचता है तुम पर।  

Friday, March 7, 2014

पहली बार

दिन चढ़ रहे हैं, ढल भी रहें हैं रोज़ ही की तरह
आने वाला हर लम्हा क्यों नया जान पड़ता है

हर बार पहली बार सा लगता है, तुम्हारे साथ।

Days dawn and days dusk as well like always,
Why then every moment seems like a new one,

With you, every 'time' feels like very first time.

Wednesday, March 5, 2014

खूबसूरतियाँ

अनदेखी ज़मीन, अनदेखा उफ़क़, अनदेखा आसमान
रूहानी पहचान है पर सब से जैसे उम्र साँझी हो अपनी

देखीं तो नहीं, पर पहचानता हूँ तुम्हारी खूबसूरतियाँ।

Unseen earths, unseen horizons, unseen skies
Yet a spiritual 'known', as if we were the same

Not yet seen, but I recognize the beauty in you.

Tuesday, March 4, 2014

ठुमरी

दफ्तर से लौटते ट्रैफिक में जाम अटके 
अचानक सुनी ठुमरी बेग़म अख्तर की   

हल्का सा बोसा, मेरे कान पर तुम्हारा।

On the way back from work, stuck jammed in traffic,
Chanced upon hearing, a thumri of Begum Akhtar's,

A dainty soft kiss of yours like a feather upon my ear.

Monday, March 3, 2014

असमंजस

बड़े असमंजस में थे मौसम के मिज़ाज
सूखे बरसे खिले या बादलों में अलसाए

अर्सा हो गया, रात ज़रा लम्बी बातें करें।

The weather has been in such confused mood,
To dry up, brighten, rain or laze in the clouds,

It has been so long, let us talk longer tonight.