Thursday, May 21, 2015

चुप सी

मद्धम सा बह निकलता है अचानक
सिसकता सा हिचकता सा वो नमक

बिन कहे आती हैं यादें, भीग जातीं हैं।

Sobbing, Doubtful flows the Salt,
Memories Unannounced, Moisten.

Wednesday, May 13, 2015

बातूनी

बड़ी मेहनत से फिर
थकान बोई थी दिन भर,
चंद झपकियों के अलावा
रात भर कुछ उगा ही नहीं।  


हर कोशिश के बावजूद
साँसे पूरी पड़ती ही नहीं,
रोज़ झाड़ लेता हूँ ज़हन
जमी धूल पर हटती नहीं।


बंद पलकों के बावजूद  
बड़ा कुछ दीखता है,
बंद कानों में भी
वो शोर थमता नहीं।


नींद भी तो बड़ी बातूनी है
बोलती ही रहती है बस  
कमबख़्त,
सोने ज़रा भी देती नहीं ।

Saturday, May 2, 2015

क़त्ल

हर रोज़ चलती है छुरी, हर रोज़ होती है क़त्ल की कोशिशें
हर रोज़ ही छुरी पर धार चढ़ती है, हर रोज़ ही मर जाती है

लहू लुहान हो गई है उम्मीद, कमबख़्त मगर मरती नहीं।

Everyday the blade flashes, everyday a killing is attempted, 
Everyday the blade's honed, yet everyday its edge is dulled,

Bloodied over and over this dogged hope, just refuses to die.



Friday, May 1, 2015

वहम

आने पर इसके लोगों का मानना, दोस्तों का टोकना
और सुनकर चौंक जाना ज़ोर की लगातार छींकों को

वहम से ख़ुश हो जाता हूँ, तुम याद कर रही हो मुझे।

Make Beliefs, Friends taken aback by Loud Sneezes,
I become Happy Imagining, You're Thinking of Me.