Wednesday, September 30, 2015

बुलबुला

बुलबुला है ख़ला का साथ में
वो ख़ुशबू है माज़ी की उसमें

कहाँ हो जाना, कैसी हो तुम?

A Vacuum Bubble, Fragrant with the Past,
Where are You, Dear, How have You been?

ख़ला- vacuum/ void/ emptiness 

Saturday, September 26, 2015

गुड मॉर्निंग!

कलियाँ थी दो समेटे हुए रौशनियाँ
खिल गईं हैं, सब उजला हो गया है

'अरे जाग गयी तुम? गुड मॉर्निंग!'

Two Buds've Flowered, All Around is Alight,
'Oh! You up? It's a Good Morning, alright!'

Monday, September 21, 2015

तैयार

छुट्टी ज़रा जल्द लेकर आज दिन से मैं
मंडी बाज़ारों से गुज़रते हुए लौटा हूँ घर

खाना तैयार मिलेगा जब घर पहुँचोगी।

Leaving Early, returned through the Markets,
On Returning, home You'll find Dinner ready.

Thursday, September 17, 2015

बेख़्वाबी

लौ धीमे धीमे बुझ रही है यूँ जैसे साँसे ख़त्म होने को हैं
पर बुझती भी नहीं है, बेचैन है, जैसे अधूरा छूटा हो कुछ

लिपट कर लेट जाऊँगा आज, तुम्हारी ख़ामोशी के साथ।

The Flame almost Dies Panting, yet it Can't,
Restless, as if something remains Incomplete,

Will Lie today with Your Silence in My Arms.

बेख़्वाबी- insomnia

Friday, September 4, 2015

तो कुछ बात हो

वो रातों को रैना कहें
तो कुछ बात हो,
मेरी निगाहों को नैना कहें
तो कुछ बात हो।

उनके लब हों, साज़ हों
तो कुछ बात हो,
उनकी क़लम हो, अलफ़ाज़ हों
तो कुछ बात हो।

क़दम उनके, उनकी राह हो
तो कुछ बात हो,
उनके निशाँ मेरी आँह हो
तो कुछ बात हो।

गुज़ारिश मेरी, उनकी रज़ा
तो कुछ बात हो,
ख़ता मुझसे, उनकी सज़ा
तो कुछ बात हो।

वो सुनें, मेरी फ़रियाद हो,
तो कुछ बात हो,
में बुलबुल, वो सैयाद हों,
तो कुछ बात हो।

हो नशा सा, धुआँ धुआँ हो
तो कुछ बात हो,
रूह उनकी मेरा रुआँ रुआँ हो
तो कुछ बात हो।

वो मंज़िल मेरी, मेरा जुनूँ  
तो कुछ बात हो,
हो साथ उनका मेरा सुकूँ
दुआ,
बस यही बात हो।