Thursday, April 27, 2017

क़ायम

कुनकुनी आँह
गहराई रौशनी

तुम्हारी नज़र। 

Warm sigh,
Deep light,

Your gaze.

Tuesday, April 25, 2017

सुनना

सब्र अक्लमन्दी
अलेहदा  सनक

तुम्हारा बोलना।

Steady wisdom,
Eloquent ​quirky,


Your speaking.

Wednesday, April 12, 2017

सफर

सफ़हे गुज़रते जा रहें हैं
ज़िंदगियाँ पलटतीं जा रही हैं।
सुफैद बर्फ़ से पल गिर रहे हैं परतों में
वक़्त बजाए ग़ुज़रने के यहाँ से
यहीं ठंडा जमता जा रहा है।
क़दमों को इंतज़ार है उफ़क़ का
ज़र्द आँखों से सूखी नींद बह रही है।
अर्सा इक हो गया है यहाँ पानी को बरसे
हवा पुरानी उन टहनियों में उलझ कर रह गयी है।
चाँद की चाँदी पर वैसे ही चमकती है
जैसे सूरज रोज़ गर्म रौशन होता है।
दिन मगर गलत पतों पे पहुँचते हैं,
और रातों के मोड़ छूटते रहते हैं।
आवाज़ों की पुकार सी सुनाई तो पड़ती है,
ज़ुबाँ पर उनकी, और समझ नहीं आती।
महसूस की छुअन सुन पड़ रही है,
नसें थक हार कर अब सोने जा रहीं हैं।
जिन हाथों के ख़याल को अब तक था थामा
उन्हें उँगलियाँ अब उतारने ने लगीं हैं।
जिन आँखों को नज़रों से यूँ तो कभी न छुंआ
जाने क्यों उनका चेहरा नज़र आ रहा है।
सफ़हे सा जो शुरू हुआ था कोरा
झुर्रियों में मुड़ा वो क़ाग़ज़
सियाही में डूब जाने को चला जा रहा है। 


सफ़हे- Pages; उफ़क़- Horizon; ज़र्द- Yellow/Yellowed

Friday, April 7, 2017

बरक़रार

कुनकुने यक़ीं 
मुलायम वादे 

तुम्हारे हाथ। 


Sure warmth,
Soft promise,

Your hands.

Monday, April 3, 2017

चाँदी

शायद चाँद में डुबो कर बिखेर दिए थे शरारत में उन्हें
या कोरे क़ाग़ज़ को छूकर उन से ग़ुज़ारी थी उँगलियाँ

देखो तो, तब से कितनी चाँदी आ गई है बालों में मेरे।

Tousled it playfully, after dipping them in a full moon,
Ran your fingers through having touched blank paper,

See, how much silver's been shining in my hair since.

Sunday, April 2, 2017

ओट

रेशम सी लहरें 
वो सियाह लटें

तुम्हारी ज़ुल्फ़ें। 


Silk wave,
Ink locks,

Your hair.