Thursday, August 25, 2016

गाँठ

तंग भूलभुलैया गलियों से सीने के गुज़रते
थकी-थकी सी यूँ वो आपस में उलझ गई हैं

पीठ थप-थपा दो ज़रा, साँस आ जाए फिर।

Trudging through those narrow mazes
Tired breaths knotted within the chest

Just pat on my back, I'll breathe anew.

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