सतह अब भी काँच सी सपाट है
गहराइयाँ भी उस रोज़ से, बाँझ
पोशीदा लहरों सी हैं कुछ यादें।
Surface still, as still as glass
Depths since, remain barren
Memories're invisible ripples.
गहराइयाँ भी उस रोज़ से, बाँझ
पोशीदा लहरों सी हैं कुछ यादें।
Surface still, as still as glass
Depths since, remain barren
Memories're invisible ripples.
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