झीनी झीनी बरखा, भीनी भीनी माटी
अंगना में फूटी, हरि हरि पाती...
आ करूँ का करूँ, समझ न आई
तू तो न जाने, हूँ नई नई माई,
बैठी निहारूँ, मोरे भीजे हैं नैना
तोहे सुलाऊँ, जागूँ सारी रैना।
झीनी झीनी बरखा, भीनी भीनी माटी
अंगना में फूटी, हरि हरि पाती...
पग पग तोरे, मन खिल खिल जाए
चलती जो गिरे, मोरा जिया घबराए
देखूँ मोको रोकूँ, मोरा हिया पथराए
गोद उठालूँ, जे तू उठ चली आए।
झीनी झीनी बरखा, भीनी भीनी माटी
अंगना में फूटी, हरि हरि पाती...
आँचल छूटा, पुकारे हैं सखियाँ
माथे पे बिंदिया, कजरारी अँखियाँ
दर्पन निहारे, मांगे है झुमका
मेरी नाहीं माने, चाल में ठुमका।
झीनी झीनी बरखा, भीनी भीनी माटी
अंगना में फूटी, हरि हरि पाती...
पलकें झुकाए, हौले हौले आए
डरते लजाते कहे, इक साथी मोहे भाऐ
कल ही तो था, मोरी गोद तू खेली
देख देख कल, तेरी आएगी डोली।
झीनी झीनी बरखा, भीनी भीनी माटी
अंगना में फूटी, हरि हरि पाती...
बैठी सोचूं कैसे, इतने बरसन बीते
आँसू पोँछूं, शादी का जोड़ा सीते
तोहे देहूं बरखा (मोरी), देहूं तोहे माटी
तोरे अंगना में भी फूटे, हरि हरि पाती।
झीनी झीनी बरखा, भीनी भीनी माटी
अंगना में फूटी, हरि हरि पाती...
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This is a simple story of a mother having a daughter, watching her grow, then fall in love, then get married. She sends her to her new home with what she had when she herself got married.
This was written long ago for what was meant to be a Kathak performance but it didn't materialize at that time. An excerpt of this has now been composed and produced by my friends.
Listen to it here: https://www.youtube.com/watch?v=Qyfe_JQhxv4
Singer - Margey Raval
आ करूँ का करूँ, समझ न आई
तू तो न जाने, हूँ नई नई माई,
बैठी निहारूँ, मोरे भीजे हैं नैना
तोहे सुलाऊँ, जागूँ सारी रैना।
झीनी झीनी बरखा, भीनी भीनी माटी
अंगना में फूटी, हरि हरि पाती...
पग पग तोरे, मन खिल खिल जाए
चलती जो गिरे, मोरा जिया घबराए
देखूँ मोको रोकूँ, मोरा हिया पथराए
गोद उठालूँ, जे तू उठ चली आए।
झीनी झीनी बरखा, भीनी भीनी माटी
अंगना में फूटी, हरि हरि पाती...
आँचल छूटा, पुकारे हैं सखियाँ
माथे पे बिंदिया, कजरारी अँखियाँ
दर्पन निहारे, मांगे है झुमका
मेरी नाहीं माने, चाल में ठुमका।
झीनी झीनी बरखा, भीनी भीनी माटी
अंगना में फूटी, हरि हरि पाती...
पलकें झुकाए, हौले हौले आए
डरते लजाते कहे, इक साथी मोहे भाऐ
कल ही तो था, मोरी गोद तू खेली
देख देख कल, तेरी आएगी डोली।
झीनी झीनी बरखा, भीनी भीनी माटी
अंगना में फूटी, हरि हरि पाती...
बैठी सोचूं कैसे, इतने बरसन बीते
आँसू पोँछूं, शादी का जोड़ा सीते
तोहे देहूं बरखा (मोरी), देहूं तोहे माटी
तोरे अंगना में भी फूटे, हरि हरि पाती।
झीनी झीनी बरखा, भीनी भीनी माटी
अंगना में फूटी, हरि हरि पाती...
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This is a simple story of a mother having a daughter, watching her grow, then fall in love, then get married. She sends her to her new home with what she had when she herself got married.
This was written long ago for what was meant to be a Kathak performance but it didn't materialize at that time. An excerpt of this has now been composed and produced by my friends.
Listen to it here: https://www.youtube.com/watch?v=Qyfe_JQhxv4
Singer - Margey Raval
Composition - Margey Raval and Vratini Ghadge
Flute - Waqas Ali
Violin - George Milanovich
Guitar and Tabla - Pallav Baruah
Production and Arrangement - Pallav Baruah
Don't know why this one left me teary eyed
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