Thursday, June 26, 2014

यादें हैं

कोरा सुफ़ैद कागज़ का पन्ना है
आँखें मूँदो तो सियाही दिखती है

तनहा तो नहीं, यादें हैं तुम्हारी।

Inked Memories on Blank Paper
Read only by the Lidded Eyes.

Tuesday, June 24, 2014

अधूरा

समंदर की गीली रेत पर चलो तो 
निशाँ मिट जाते हैं चले क़दमों के

तुम्हे लिखा, इक अधूरा ख़त था।

As if one had never Walked,
Walking on wet Sand Ashore.

Monday, June 23, 2014

आज भी

सीने में चलती साँसें
ज़हन में बसी वो रूह

आज भी तुम ही हो। 

Thursday, June 19, 2014

मोड़

दरख़्त कुछ पुराना सा है शाखें फैल सी रही हैं
तेज़ हवाओं में मुड़ सी गईं हैं पर जड़ें गहरी हैं

जब आओ फिर, उसी पुराने मोड़ पर मिलूंगा।

Wednesday, June 11, 2014

ज़ाहिर

अनकहे किस्से भटकते हैं
ज़ुबां मिले और ज़ाहिर हों 

बोलती ख़ामोशी है, हम हैं। 

Tuesday, June 10, 2014

छोटा सा डब्बा

जेब में, मेज़ या बिस्तर पर पड़ा रहता है यूँ तो
छोटा सा डब्बा है, रौशनी चमकती है कभी कभी

इंतेज़ार होता है हमेशा, तुम्हारे लफ्ज़ पढ़ने का। 

Monday, June 9, 2014

ज़हीन

अलेहदा अकेले भटकते से खोए से लफ्ज़ 
कितने ही मानी निकलते हैं जो इक्कठे हों  

ज़हीन क़लम है, बड़ा बेशुमार लिखती हो। 

Wednesday, June 4, 2014

हमेशा

अक्सर देखा है छुप-छुप कर मैंने
अपने आप ही में मुस्कुराते तुम्हे

क़िताब इक हमेशा साथ होती है। 

Sunday, June 1, 2014

कभी, कभी

निकल पड़ी हैं चलती ही जा रही हैं बस वो दो राहें
अलग कभी, कभी एक ही सी; इक दूजे को देखतीं   

पहचाना सा लगता है, देखो अपना ही घर तो नहीं?