Thursday, June 19, 2014

मोड़

दरख़्त कुछ पुराना सा है शाखें फैल सी रही हैं
तेज़ हवाओं में मुड़ सी गईं हैं पर जड़ें गहरी हैं

जब आओ फिर, उसी पुराने मोड़ पर मिलूंगा।

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