Thursday, May 10, 2012

नामुराद

सुबह के नाश्ते में आज
चाय बिस्कुट के साथ
भोर कि धुप भी चखी थी.
सो दिन आज का पूरा 
ताज़ा ताज़ा गुज़रना था,
पर गुज़रा नहीं.

नामुराद ये खाँसी न जाने
कब पीछा छोड़ेगी ?

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