Saturday, January 25, 2014
आग़ोश
ढर्रे की चिपचिपी आग़ोश में लिए, ज़िन्दगी
धीमे ज़हर सी चढ़ती, साँसें घोंट रही है रोज़
अर्सा हो गया आज तुम्हारे लिए कुछ गाए।
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