मुंदे हुए पलकों के पीछे से, देखे हैं बेशुमार धड़कते एहसास
ज़हन की उफनती गहराइयों में महसूस किए हैं नज़ारे कई
दिल ही से पहचानता हूँ तुम्हे, मुझे भी वैसे ही पहचानना तुम।
ज़हन की उफनती गहराइयों में महसूस किए हैं नज़ारे कई
दिल ही से पहचानता हूँ तुम्हे, मुझे भी वैसे ही पहचानना तुम।
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