Tuesday, February 17, 2015

गिरफ्त

काँच पर चाँद सी चमकतीं है काली सियाह
रात सी गहरी हैं पर फिर भी दिन सी रौशन

कैसी गिरफ्त है मुझ पर तुम्हारी आँखों की।

Like Deep Inky Nights with a Moon, Yet Alight as Day,
How strongly they hold Me, Your ever Arresting Eyes. 

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