Friday, September 4, 2015

तो कुछ बात हो

वो रातों को रैना कहें
तो कुछ बात हो,
मेरी निगाहों को नैना कहें
तो कुछ बात हो।

उनके लब हों, साज़ हों
तो कुछ बात हो,
उनकी क़लम हो, अलफ़ाज़ हों
तो कुछ बात हो।

क़दम उनके, उनकी राह हो
तो कुछ बात हो,
उनके निशाँ मेरी आँह हो
तो कुछ बात हो।

गुज़ारिश मेरी, उनकी रज़ा
तो कुछ बात हो,
ख़ता मुझसे, उनकी सज़ा
तो कुछ बात हो।

वो सुनें, मेरी फ़रियाद हो,
तो कुछ बात हो,
में बुलबुल, वो सैयाद हों,
तो कुछ बात हो।

हो नशा सा, धुआँ धुआँ हो
तो कुछ बात हो,
रूह उनकी मेरा रुआँ रुआँ हो
तो कुछ बात हो।

वो मंज़िल मेरी, मेरा जुनूँ  
तो कुछ बात हो,
हो साथ उनका मेरा सुकूँ
दुआ,
बस यही बात हो।

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