Friday, January 20, 2017

फ़ासला

जो मुक़्क़मल हो तो ख़ुशी से छलक जाते हैं
ग़र नाक़ामयाब तो सब्र तोड़कर बह जाते हैं

हर्फ़ भर का फ़ासला है इश्क़ और अश्क़ में। 

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