अलफ़ाज़ आख़िर में दायरे ही हैं ज़ुबानी बयाँ के
आज न अलफ़ाज़ मिलते हैं, न ढूढ़ना चाहता हूँ
दोनों ही गुज़रें हैं यूँ इक रूहानी एहसास से साथ।
Words after all are the boundaries of lingual expression,
Today, neither the words are found nor do I seek to find,
Together both've passed, through a spiritual experience.