महक में, सुनने में, देखने में ग़ुज़रे हुए लम्हों सी होती है
मगर एहसास में नम और स्वाद में नमकीन सी होती है
जो यूँ ही बैठे-बैठे आँखों से छलक जातीं हैं तुम्हारे न होते।
मगर एहसास में नम और स्वाद में नमकीन सी होती है
जो यूँ ही बैठे-बैठे आँखों से छलक जातीं हैं तुम्हारे न होते।
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