Tuesday, April 30, 2019

बदला

गर्म गहन सी चढ़ती है होश पर हर रोज़
मौसम, बदला ले रही है इनसानियत से

शुक्र है रोज़ घर लौट पाता हूँ तुम्हारे पास।

A hot stupor possesses the senses every day,
The weather exacts revenge upon humanity,

Am thankful to return home to you everyday.

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