गर्म गहन सी चढ़ती है होश पर हर रोज़
मौसम, बदला ले रही है इनसानियत से
शुक्र है रोज़ घर लौट पाता हूँ तुम्हारे पास।
A hot stupor possesses the senses every day,
The weather exacts revenge upon humanity,
Am thankful to return home to you everyday.
मौसम, बदला ले रही है इनसानियत से
शुक्र है रोज़ घर लौट पाता हूँ तुम्हारे पास।
A hot stupor possesses the senses every day,
The weather exacts revenge upon humanity,
Am thankful to return home to you everyday.
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