Sunday, September 8, 2013

शुक्र है

देर तक देखा मुझे और छोड़ चली गई
शुक्र है बारिश का के तुमने देखा नहीं 

आँखों की नमी जो बूँदों में छुप गई थी। 

3 comments:

  1. Baarish ke aasaar ab har mausam sataate hain
    Aankhon mein aabshaar phir utar hii aate hain

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    1. :)

      इस मौसम, गए वक़्त की भाप
      आज पर बूँदें बन बरस पड़ती हैं

      जज़्बात सभी सीले-सीले से लगते हैं।

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  2. "Ankhon ki nami jo boond me chhup gayi thi..."
    waah..!!

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