इक अलग ही समां होता है हर रोज़ जहाँ गूँजतीं रहती हैं
सिर्फ़ कीबोर्ड की टक-टक और फ़ोन की घंटियाँ दिन भर
हैलो?! घूमने चलोगी, आज काम का बिलकुल मन नहीं है।
It's quite a different ambience which echoes everyday, Of the staccato keyboard taps and ringings of phones, Hello?! Let's go out; just don't feel like working today.
घुंगरुओं सा बजता कुछ सुनाई पड़ा था,
हौले-हौले से उतर रहा था सीढ़ियाँ छत की,
अभी ऊपर वाले बेडरूम में
गेस्ट रूम के दरवाज़े पर फिर
छन-छन उतरकर सीढ़ियाँ
रसोई की और मुड़ता हुआ।
कुछ देर फिर सब खामोश रहा,
ख्वाब था कोई शायद।
करवट बदली
खिड़की के काँच पर
ठंडी लाल रौशनी धीरे धीरे
गर्मा रही थी- भोर हुई ही थी बस।
नींद के धुंधलके में फिर
बज उठे वही घुंगरू से
कमरे ही में कहीं इस बार।
पल्लू के कोने में बाँधा
छनछनाती चाबियों का गुच्छा।