कुछ कहूँ भी तो, काग़ज़ सब अनसुना किए देता है
क़लम भी इसी वक़्त है बेज़ुबां, कुछ कहती ही नहीं
अब मान भी जाओ, देखो मैंने ख़ास चाय बनाई है।
क़लम भी इसी वक़्त है बेज़ुबां, कुछ कहती ही नहीं
अब मान भी जाओ, देखो मैंने ख़ास चाय बनाई है।
Even if I say something the paper just ignores them all,
The pen too has lost its tongue at the moment, is silent,
Come on now please, see I have made you special tea.
Very nice.
ReplyDelete