पिन्जर सी टहनियाँ भर हैं, न पत्ते न फूल
छिपी है सीने में जहाँ जड़ें रूह तक गहरी हैं
इक रोज़ फिर मिलेगी वो जब बरसात होगी।
Skeletal branches sans leaves or buds,
Roots yet reach Deep within the Spirit,
Will Find Her again on a day it Rains.
छिपी है सीने में जहाँ जड़ें रूह तक गहरी हैं
इक रोज़ फिर मिलेगी वो जब बरसात होगी।
Skeletal branches sans leaves or buds,
Roots yet reach Deep within the Spirit,
Will Find Her again on a day it Rains.
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