Tuesday, November 10, 2015

धुँआ

माज़ी की गहराइयों से उठतीं हैं ख़ुद
जिस्म में समा कर घोंट देतीं हैं साँसें

सुफ़ैद से धुँए सी वो कुछ यादें तुम्हारी।

Rising from Depths, Diffusing and Choking,
Like White Smoke, Some Memories of Yours.

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