Wednesday, August 28, 2013

शरीर

टुकड़ा टुकड़ा ढून्ढ कर बटोरा है ख़ुद को 
आखिरी एक टुकड़ा मगर मिलता ही नहीं 

बड़ी शरीर हो, कहीं तुमने तो नहीं छुपा दिया?

1 comment:

  1. क्या बात है संबित...बहुत खूब...शरीर शब्द का प्रयोग अनूठा है...

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