Saturday, December 20, 2014

टाँके

कुछ सिल से गए हैं यूँ दिन अब रातों से
टाँकों के बीच गुम हो गए हैं साँझ सवेरे

बस बोलती रहो तुम, मुझे नींद आ जाए।

No Dawn nor Dusk, just Stitch Days and Nights,
Please just Keep Talking, Sleep I could Finally.

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