Saturday, May 2, 2015

क़त्ल

हर रोज़ चलती है छुरी, हर रोज़ होती है क़त्ल की कोशिशें
हर रोज़ ही छुरी पर धार चढ़ती है, हर रोज़ ही मर जाती है

लहू लुहान हो गई है उम्मीद, कमबख़्त मगर मरती नहीं।

Everyday the blade flashes, everyday a killing is attempted, 
Everyday the blade's honed, yet everyday its edge is dulled,

Bloodied over and over this dogged hope, just refuses to die.



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