I have a very bad cold today with my not so subtle sneezes constantly buzzing in my head. Amongst these my friend Laasya told me that she was going home for the weekend and a lot of goodies awaited her. I couldn't help typing a few home yearning lines in reply. The following is a result of that start.
देहलीज़ पे तड़के पहुँच के,
वो दरवाज़ा खटखटाना है,
सामान कमरे में रख कर,
सोफे पे ज़रा सुस्ताना है.
गिलास भर ठंडा पानी और
थोड़ी माँ कि डांट खानी है,
थोड़ी माँ कि डांट खानी है,
कटोरी भर घर कि दाल
के साथ थोड़ा चावल खाना है.
दोपहर कि धुप में ज़रा बैठ
दोपहर कि धुप में ज़रा बैठ
फिर अपने बिस्तर सो जाना है.
श्याम की गपशप के साथ
सुबह का अखबार निपटाना है.
और रात सबके साथ बैठकर ,
देर तक हसना हसाना है.
खैर, इन मीठे ख़यालों के बीच
कमबख्त इस छींक को आना है.
खैर, इन मीठे ख़यालों के बीच
कमबख्त इस छींक को आना है.
ज़ुकाम बड़ा परेशान कर रहा है,
आज, मुझे भी घर जाना है.
Loved it....!!!
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