Tuesday, September 6, 2011

सुर सात

एक धुन सुन, थके हारे
से कदम बढ़ चलते हैं.

एक तर्ज़ पर, ग़मगीन
चेहरे मुस्का उठते हैं.

ये  सुर सात कुदरत के,
वक़्त को बदल सकते हैं.

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