Tuesday, September 27, 2011

तीलियाँ

घर साफ़ करते आज
माचिस की एक पुरानी
डिब्बी मिली, जिस में
सिर्फ दो तीलियाँ थी, एक
जली हुई और एक साबुत.
ज़रुरत तो कुछ थी नहीं
वो बची हुई तीली मगर
फिर भी जलाली और
बैठ उसे पूरा जलता देखा.
उन चन्द रौशन लम्हों में
बचपन के वो नटखट
पल याद आ गए जब
माँ से छुपा-छुपा कर यूँ ही
माचिस की तीलियाँ जलाते थे. 

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