Saturday, November 28, 2015

देर तक

वो याद, ऐसी आई थी जैसे हक़ीक़त ही थी
तस्वीर बनती न थी लिखते भी न बना था

तनहा अकेले, देर तक बातें की थी तुमसे।

That memory arrived as if it were real,
Never could draw, failed to write even,

In solitude, alone, spoke long with you.

Thursday, November 26, 2015

डर, फिर भी

आँधियों ने बिखेर दिया है अंदर से घर कई बार
डर तो लगता है, फिर भी खिड़की खुली रखी है

इंतज़ार है उसका जो कागज़ पर सियाही होगी।

Wind scattered Withins, Windows open despite Fear,
Waiting for the One who'd be the Ink for My Paper.




Tuesday, November 24, 2015

सेज

नर्म सुफ़ैद चाँद का इक तकिया
चाँदनी का इक रुपहला लिहाफ

ज़ुक़ाम है कल रात के ख़्वाब से।

A plushy white pillow of the moon,
A blanket of the silvery moonlight,

Caught a cold, dreaming last night.


Sunday, November 22, 2015

कभी

पकड़ा-पकड़ी
लुक्का-छिपी

मिलोगी कभी।

Hide 'n Seek & Catch,
One day, will find You.

Saturday, November 14, 2015

नुक़्ता

नजाकत नहीं, नज़ाकत है सियाही
कागज जो था कभी, अब क़ाग़ज़ है

वो नुक़्ता हो तुम मेरी ज़िन्दगी का।


नुक़्ता- It's a dot, added below an alphabet, 
usually of the Devnagri script, to indicate 
Urdu pronunciation, often softening or 
sand-papering the phonetic pronunciation 
of the alphabet.

Tuesday, November 10, 2015

धुँआ

माज़ी की गहराइयों से उठतीं हैं ख़ुद
जिस्म में समा कर घोंट देतीं हैं साँसें

सुफ़ैद से धुँए सी वो कुछ यादें तुम्हारी।

Rising from Depths, Diffusing and Choking,
Like White Smoke, Some Memories of Yours.

Sunday, November 8, 2015

मौसमी

आज कल के मौसम ही सी हो गई है सियाही
सूखे तो क़ाग़ज़ बंजर, बहे तो डुबा देती है सब

फूँक दो जान मेरे लफ़्ज़ों में, बस लौट आओ।

The Ink's become like the Seasons of these days, 
If Dries Parches, If Flows it Drowns the Paper

Breathe some Life into My Words, Come Back.

रात का

शरीर बच्चे की आधी जूठी रोटी
और हर तरफ फैले मटर के दाने

आओ आज रात का आसमाँ देखें।

A Kid's half eaten Roti, Scattered Peas,
Come let Us Watch Today's Night Sky.

Friday, November 6, 2015

फूँक

रौशन होते होते, थक जाती होगी लौ भी
सो जाती है वो फिर किसीके जलाने तक

फूँक से अपनी जाना, मुझे भी बुझा दो।

Even the Flame Sleeps Tired till Lit again,
With your Breath Dear, Blow Me Out too.

Thursday, November 5, 2015

गूँज

ग़ुस्से से कड़की हो जैसे बिजली
गूँजता हो तूफ़ाँ इक सर में कोई

सुनी हैं न जाना तुमने छींकें मेरी?

Angry Thundery Storm Echoes Within,
Haven't You Dear, heard Me Sneeze?