इक श्याम नए दो बादल बने,
आँख खुलते ही उनकी नज़र,
उगते पूरे चाँद पर पड़ी, बस
मुहब्बत हो गई।
आसमाँ के अपने अपने कोनों से
वे दोनों बेक़ाबू से दौड़ पड़े,
के आग़ोश में ले लें अपने महबूब को।
निगाहें सिर्फ़ मंज़िल पर थीं,
इक दूजे को आमने-सामने न देखा
और टकरा गए।
यहाँ ज़मीन पर सब हैरान हुए
के अचानक ये बिन मौसम के
बिजली बारिश क्यों हो गई?
आँख खुलते ही उनकी नज़र,
उगते पूरे चाँद पर पड़ी, बस
मुहब्बत हो गई।
आसमाँ के अपने अपने कोनों से
वे दोनों बेक़ाबू से दौड़ पड़े,
के आग़ोश में ले लें अपने महबूब को।
निगाहें सिर्फ़ मंज़िल पर थीं,
इक दूजे को आमने-सामने न देखा
और टकरा गए।
यहाँ ज़मीन पर सब हैरान हुए
के अचानक ये बिन मौसम के
बिजली बारिश क्यों हो गई?
Nice imagination..!!
ReplyDeleteCongrats on your 200th post.. Keep it up!