Friday, October 18, 2013

एक फ़ोन

इक बाग़ है कहीं दूर जहाँ खिला करते हैं
फूल ख़ामोशी के, सुकूँ के, फुरसत के भी 

मिलो न सही, एक फ़ोन ही कर दिया करो। 

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