Monday, October 7, 2013
नमक
उस रोज़ की याद आए तो ज़ुबां नमकीन सी हो जाती है
सूरज को समंदर में डुबा, उफ़क़ पर हमने चाँद टांगा था
तनहा समंदर में पाँव धोए हैं, सूख जाएँ तो नमक दिखेगा।
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