उक्ता के पुराने से, फ़लक नया रंगाना है तुम्हारे पसंद के रंगों में
पुराना उतार तो दिया है, पर नया कौन सा चढ़ाऊँ सूझता नहीं है
कल ही तो तुम्हारी माँ के साथ बातें हुईं थीं, तुम्हारे बचपन की।
पुराना उतार तो दिया है, पर नया कौन सा चढ़ाऊँ सूझता नहीं है
कल ही तो तुम्हारी माँ के साथ बातें हुईं थीं, तुम्हारे बचपन की।
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