Sunday, February 16, 2014

आओ

आँखों से आँखें कुछ बोल नहीं पातीं, दूरियाँ हैं
ख़्वाब साँझी यादों की लौ में मिल लिया करते हैं

बाँहों में आओ भर लूँ तुम्हे, बड़ी सर्दी है आज। 

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