और दूजा नहीं कोई ताज महल जहाँ में
न विंची की लीसा न गुलज़ार की नज़्में
एक अकेली ही हो अपनी तरह की तुम।
Taj, Vinci's Lisa
Gulzar's Poems
Sui Generis, You.
न विंची की लीसा न गुलज़ार की नज़्में
एक अकेली ही हो अपनी तरह की तुम।
Taj, Vinci's Lisa
Gulzar's Poems
Sui Generis, You.
No comments:
Post a Comment