Wednesday, November 9, 2011

रात एक देर

दिन अब भी गरम ही हैं
पर रातें ठंडी होने लगी हैं.
हलकी-सौंधी आंच के साथ
बातें लम्बी होने लगी हैं.

छुट्टियों के दिन अब ज़रा
देर ही से शुरू हुआ करेंगे.
गप्पों के साथ रात हाथ में
कॉफ़ी के मग हुआ करेंगे.

कभी पुरानी फिल्मों के साथ
रातें अपनी देर किया करेंगे.
कभी किताबों के पन्नों संग
सुबह तक बात किया करेंगे.

शायद किसी दिन तुम्हे एक
कागज़ी ख़त लिखा लिया करेंगे.
मगर फिर बीच में ही उक्ता
तुम्हे फोन कर लिया करेंगे.

फिर फोन रखके कुछ वक़्त
दीवार ताकते ये सोचा करेंगे,
कब आपके और कॉफ़ी के साथ
बैठ रात एक देर किया करेंगे.

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