Monday, November 28, 2011
कैद ख्वाब
इक कैद ख्वाब था दिल में मेरे.
रोज़ भागने की कोशिश करता.
रात नींद के अँधेरे में आखिर,
कल ख्वाब वो आज़ाद हो गया.
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