Tuesday, November 8, 2011

मिलो

मिलेंगे सोच जब मिलें, लज्ज़त बातों का कम आता है.
राहें इत्तेफाक़न जब मिलें, मज़ा गुफ्तगू का तब आता है.
रोज़ सुबह सोचता हूँ के, तुमसे कहूं, आज श्याम मिलो.
कहता नहीं पर सोच, के तुम इत्तेफाक़न, आज श्याम मिलो.

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