लगभग जाड़ों सी
पतझड़ की सुबह.
टहलते पैरों तले
सूखे ओसीले पत्ते,
चरमराते कहते हैं.
"यूँ नन्गे पाँव अब
और न टहला कीजे.
मौसम बदल रहा है,
सर्दी लग जाएगी."
पतझड़ की सुबह.
टहलते पैरों तले
सूखे ओसीले पत्ते,
चरमराते कहते हैं.
"यूँ नन्गे पाँव अब
और न टहला कीजे.
मौसम बदल रहा है,
सर्दी लग जाएगी."
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