Wednesday, November 30, 2011

कुछ हवा लगे

कागज़ अलमारी में पड़े पुराने हो गए हैं.
सुफैद अँधेरे में घुटके ज़र्द सा पड़ गया है.
वो कहते हैं, के भले लिखो न सही हम पे
मोड़ फिरकी ही बना लो के कुछ हवा लगे.

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