तूफ़ान सा कभी, कभी खँडहर सा रहता है ये ज़हन
आवाज़ ख़ामोश और सन्नाटा चीख़ कर घोंटता है
लिखता तो बहुत हूँ तुम्हे, पर अक़्सर भेजता नहीं।
Stormy now, Ruinous then, the Mind Restless
Quiet voices and screaming Silences Smother
Lots I write to You, but often do not send them.
आवाज़ ख़ामोश और सन्नाटा चीख़ कर घोंटता है
लिखता तो बहुत हूँ तुम्हे, पर अक़्सर भेजता नहीं।
Stormy now, Ruinous then, the Mind Restless
Quiet voices and screaming Silences Smother
Lots I write to You, but often do not send them.
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