Friday, October 28, 2011
अपना सा सुकूँ
बहुत थक गया हूँ
बड़ी देर का चला हूँ.
कुछ देर बैठ कहीं
ज़रा सुस्ता लूं, ऐसी
कोई जगह भी तो
आसपास नहीं दिखती.
अगली बार सफ़र पे
निकलने के पहले
अपने घर के पीपल
की छांव का, एक
छोटा सा टुकड़ा
साथ ले चलूँगा, के
बेगानी धुप में भी
अपना सा सुकूँ मिले.
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