ज़हन में थकी भीड़ है यादों ख्यालों की
इतना अकेलापन न जाने फिर क्यों है
नींद नहीं आ रही, क्या सुला दोगी मुझे?
Alone in a Tired Riot of Thoughts,
Please put me to Sleep, for I can't.
इतना अकेलापन न जाने फिर क्यों है
नींद नहीं आ रही, क्या सुला दोगी मुझे?
Alone in a Tired Riot of Thoughts,
Please put me to Sleep, for I can't.
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