Thursday, October 30, 2014

पैनी

बहता नहीं जो नमक आँख का, वो पथरा गया है
रह रह के टीस उठती है, बड़ी पैनी चोट है उसकी

तवज्जो न दो शायद, हर पल याद करता हूँ तुम्हे।

Unflowed Salt from the Eyes has turned Stone
Pangs Pinch now & then, too Sharp's Its Hurt

You mightn't See, I Think of You every Moment.

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