पहचान मुक़म्मल एक अभी कहाँ पूरी हो सकी है, कई दूरियाँ हैं
अभी नज़रों में सब कुछ कहाँ आया है, न रूबरू हुए न छुअन हुई
ऊँगली ज़ुबां से भिगोए पलटना, अभी और पन्ने बाक़ी हैं मुझ में।
Neither Fully Seen nor Touched nor Fully Known, Distances Still,
Turn with a Tongue Moist Finger, There're Leafs yet Unread in Me.
अभी नज़रों में सब कुछ कहाँ आया है, न रूबरू हुए न छुअन हुई
ऊँगली ज़ुबां से भिगोए पलटना, अभी और पन्ने बाक़ी हैं मुझ में।
Neither Fully Seen nor Touched nor Fully Known, Distances Still,
Turn with a Tongue Moist Finger, There're Leafs yet Unread in Me.
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