Wednesday, October 22, 2014

तुम्हारे पास

समझा जाना किसीसे ठीक जैसा मैं हूँ;
अपनाया जाना उसी से ठीक जैसा के मैं हूँ;
फिर चाहा जाना उसी बात के लिए ठीक जैसा मैं हूँ;
उसका अपनी दिल की बातें, शरारतें, उम्मीदें, सपने;
दर्द, तकलीफें, डर, ख़ौफ़ बेझिझक मुझ से कह देना;
और मेरा बस सुनते जाना, सुनते जाना;
हर तरह की बातें उस से कहना उस से बाँटना;
फ़ोन के थर्राने का रौशन होने का इंतज़ार करना;
फिर देर उस आवाज़ में गुम हो जाना;
या बस बैठे एसएमएस भेजते रहना ;
बातों के बीच कही अचानक कुछ बार
उस सर्गोश बात पर मुस्कुरा देना कभी हँस देना,
कभी जवाब वैसे ही देना कभी ज़ोर से कहकर देना;
उसे गा कर सुनाना, उसके लिए गाना;
नए लफ़्ज़ तलाशना, उसके लिए खूब लिखना;
कभी पढ़ने को भेजना, कभी पढ़कर सुनाना;
और कभी अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड कर भेजना;
उसकी तस्वीरों का मिलना, उन्हें देर तक देखते रहना
और कभी उसी से बातें करना उसे गा कर सुनाना;
अपनी भी तस्वीर उस बीमार से कैमरे से खींच उसे भेजना
और फिर घबराते मुस्काते जवाब की राह देखना;
अच्छी इत्मिनान नींद में सोना, सपनों में उसके साथ होना-
कभी साइकल पे बिठाए घुमाना कभी नदी किनारे टहलना,
उसीकी लिखी कहानी कभी उसीकी ज़ुबानी सुनना,
कभी हाथ थामे चाँदनी मैं बैठना कभी ख़ामोश बातें करना,
साथ साथ नंगें पाँव कभी सुबह की ओसीली घाँस पर चलना,
उसके सभी स्कूल के शहरों की साथ में सैर करना,
कभी गोद में बिठाए अपने हाथों से पिज़्ज़ा खिलाना,
बच्चों सी तोतली ज़ुबाँ में कभी आपस में बात चीत करना;
इक दूजे के पहलू में कभी बस चैन से सो जाना,
कभी गर्मी की सुबह बिस्तर पर कोल्ड कॉफ़ी पिलाना,
उसकी लिखी क़िताब में उसका पहला ऑटोग्राफ़ लेना,
आँखों का उन गहरी सियाह आँखों में कभी बस देखते ही रहना,
कभी उसे पढ़ते देखना कभी सोते तो कभी टीवी देखते देखना,
उसका कभी सीने पर हाथ फेरते मेरी हाँफती साँसों को संभालना,
उसके रुखसारों से आँसू चूमकर पौंछ कभी अपनी बाहों में भींच लेना,
बारिश में भीग कभी भागते भागते घर लौटना,
कभी बाहों में उठाए हलके से माथे को चूम लेना और
कभी चीनी और पानी सा इक दूजे में बस गुम होना, समा जाना;
दिन भर तंदुरुस्त और खुश मिज़ाज रहना;
जानना कि उसकी फ़िक्र मैं करूँ तो उसे अच्छा लगता है,
उसे तस्सली रहती है के हर सूरत में मैं उसका हूँ और उसके साथ हूँ;
उसकी ख़ुशी के बारे में सोचना हर वक़्त;
खुद पर उसे पूरा और हर एक हक़ देना;
गुम रहना दिन भर उसी के ख़यालों में फिर भी,
हर काम हर ज़िम्मेदारी बखूबी पूरी कर लेना;
सोच सोच अकेले में पहली मुलाक़ात के बारे में,
पहली छुअन के बारे में कुछ शर्माके मुस्कुराते रहना;
पहली बार गले लगने और उस पहले बोसे के बारे में
सोच सोच घबराना, मुस्कुराना फिर काम पर ध्यान लगाना;
स्केचबुक में लकीरें खींच उम्मीद करना के उसे आँका है,
फिर उसमे पेस्टल के रंग भर सोचना के उसीके रंग हैं;
दिन गिनते रहना, राह ताक़ते रहना;
साथ आने वाले कल के लिए सोचना, काम करना, सहेजना;
भगवान अल्लाह के नाम पर न सही
पर किसी रूहानी ताक़त पर इक भरोसा सा करना;
खुद के अंदर उसकी लौ, उसकी रौशनी महसूस करना;
देना उसे और बस देते रहना उसे अपना सब कुछ;
नीम सजदे में बैठना उसके, उसकी दिली इबादत करना;
सिर्फ़ उस ही के लिए जीना फिर उस ही के लिए फ़ना हो जाना;

वो तुम हो, तुम ही तो हो जाना,
ख़ुशियाँ तमाम मेरी अब तुम्हारे ही पास हैं,
इतनी इल्तिजा है तुम से के बस-
नाज़ुक हैं ये बिलकुल काँच से,
इन्हें, संभाल कर रखना।




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