Wednesday, August 10, 2011

गश्त

खुश्क अश्कों से भीगा रुमाल कल,
रात की कच्ची बारिश में सुखाया था.
गश्त में बेहोश सूखी पलकों को,
जिससे उम्मीद से हमने सहलाया था.

के धुन्दले उफ़क पे नज़र आएगा,
ज़र्द फ़लक के इक छोर पे वो.
किसी गुम खोज की तलाश में,
इक रोज़ यहाँ से गया था जो.


खुश्क- dry;  अश्क- tears;  गश्त- vigil/patrol (meant as a wait here);  उफ़क- horizon; ज़र्द- yellow/golden;  फ़लक-sky

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