Thursday, August 11, 2011
मुआफी
वो ख़फ़ा हो आज,
बिन कहे चले गए,
मैं उलझन में,
अपनी ख़ता ढूंढता हूँ.
कहा होता क्या हुई बात,
इस तरह बिगड़ गए.
मैं फिर उलझन में,
अपनी मुआफी लिखता हूँ.
1 comment:
Shivani Gakhar
August 12, 2011 at 11:24 AM
achha hai... but itna senti kyon bhai?
:P
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achha hai... but itna senti kyon bhai?
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